हम सभी के जीवन में एक ऐसा व्यक्ति होता है जिससे जीवन भर हमारी तुलना होती है । परीक्षाओं में अंक से लेकर खेल में खिताब और निश्चित रूप से नौकरी में – वह आपके माता-पिता के लिए सब तुलनाओं का माप होता है । यहां तक कि अगर आप दोनों किसी काम में असफल हो गए हैं, तब भी इसकी तुलना होती है की कौन लक्ष्य के कितना करीब था। किसी के लिए यह व्यक्ति शर्मा जी का बेटा होता है, तो किसी के लिए अपना ही भाई/बहन।
हम सब जन्म से ही बहुत उम्मीदें के साथ शुरुआत करते हैं परन्तु हर किसी को समान क्षमता और अवसर प्राप्त नहीं होते हैं। वह जो अपने अवसरों और क्षमताओं का सर्वोत्तम उपयोग करता है, शिखर पर पहुँचता है, लेकिन यह भी सच है कि सबके शिखर एक समान नहीं हो सकते। यह बात हम सब अपने माता-पिता को समझाना चाहते हैं, पर इससे केवल बहस और बढ़ जाती है और परिवार में तनाव बढ़ जाता है। तो क्यों न इसे संभालना सीखलें?
जब आपके माता-पिता आप को समझ नहीं पाते हैं, तो आपका उत्तेजित हो जाना स्वाभाविक है। लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि इस स्थिति में शब्दों के द्वन्द से कोई विशेष फायदा नहीं होगा। आप बुद्धिमान, मजबूत और अपने पड़ोसी से बेहतर हैं यह आप अपने कर्म से ही साबित कर सकते हैं।
1. सबसे पहले, हालांकि किसी को माप रख कर कर्म करना गलत है, ध्यान इस पर केंद्रित होना चाहिए की स्थिति का सबसे अच्छा उपयोग किस तरह किया जा सकता है। आपके माता-पिता आपसे ऊँची अपेक्षाएं रखते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि आप इसके सक्षम हैं। वह भी शर्माजी की तरह गर्व महसूस करता हैं।
2. दूसरा, इस तरह की तुलना से खुद को कभी भी हताश न होने दें । बल्कि इससे प्रेरित हो और ये साबित करने में जुड़ जाएँ की आप सक्षम हैं। अपने समय और ऊर्जा का अपने जूनून में निवेश करें और इसमें अपना सर्वश्रेष्ट दें। परिणाम मिलने पर आपके पास अगली बार के लिए उदाहरण एवं आत्मविश्वास होगा।
3. तीसरा, अपने लक्ष्य स्वयं निर्धारित करें। अक्सर सामाजिक दबाव के कारण माता-पिता ऐसी तुलनाएं करते हैं। समाज अपनी उम्मीदें एवं मापदंड आपके ऊपर थोपने को हमेशा ही तैयार है, लेकिन अपने लक्ष्य हमेशा अपनी व्यक्तिगत पसंद एवं अपेक्षाओं पर निर्धारित करें और विश्लेषण करें कि आप उनसे कितनी दूर हैं। याद रखें कि अंत में अपना घर आप खुद चलाते हैं, समाज नहीं।
4. चौथा, आप हमेशा अपने हित में बात को पलट सकते हैं। अपने माता-पिता को बताएं, आपका पड़ोसी इसलिए सफल होता है क्योंकि उसके माता-पिता अधिक समर्थन करते हैं। इसके अलावा, उन्हें बताएं कि उनकी सहायता एवं समर्थन से आप भी वही कर सकते हैं।
साथ ही, जब आपके माता-पिता तुलना करते हैं, तो उनसे लड़ना बंद कर दें। बल्कि यह स्वीकार करें कि कुछ पहलुओं में आपका पड़ोसी श्रेष्ठ हो सकता है। उन्हें बताएं कि आप उस विषय में शायद उतने अच्छे नहीं हैं, लेकिन बेहतर बनने के लिए निरंतर प्रयास करते रहेंगे। अपने सुधार की तुलना केवल अपनेआप से करें और अपने माता-पिता को भी यही करने के लिए समझाएं। उन्हें बताएं कि अगर वे दूसरों के साथ आपकी तुलना करना बंद कर दें और केवल आपके पिछले प्रदर्शन से आपकी तुलना करें तो वह आपके विकास के लिए बेहतर होगा।
मुझे पता है कि जब माता-पिता इस बात को शुरू करते हैं, तो आपके लिए शांत रहना मुश्किल होता है। इसलिए अगली बार जब आप इस तरह की वार्तालाप करते हैं, तो उन चीजों के बारे में सोचें जिनमें आप अच्छे हैं, इससे आप गर्व महसूस करना शुरू कर देंगे और निश्चित रूप से कम अपमानित महसूस करेंगे। और याद रखें कि आप भी किसी और के लिए शर्माजी के बेटे हैं 
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